महोबा का इतिहास और लड़ाई

0
mahoba-ki-ladai


महोबा का इतिहास और लड़ाई | History of Mahoba



महोबा भारतवर्ष के बुन्देलखण्ड क्षेत्र के उत्तर प्रदेश का एक जिला और मुख्यालय है। प्राचीन समय में महोबा बुन्देलखण्ड की राजधानी था। महोबा जहां एक ओर विश्व प्रसिद्ध खजुराहो के लिए प्रसिद्ध है



Translate This Page:


ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह स्थान काफी महत्वपूर्ण है। काफी समय तक चन्देलों ने यहां शासन किया है। अपने काल के दौरान चंदेल राजाओं ने कई ऐतिहासिक किलों और मंदिरों आदि का निर्माण करवाया था। इसके बाद इस जगह पर प्रतिहार राजाओं ने शासन किया। महोबा सांस्कृतिक दृष्टि से काफी प्रमुख माना जाता है। पहले इस जगह को महोत्सव नगर के नाम से जाना जाता था, लेकिन बाद में इसका नाम बदल कर महोबा रख दिया गया।


चन्देलों के समय के कुछ अवशेष महोबा में मिले हैं तथा आल्हा-ऊदल की दन्त कथाओं से सम्बन्धित ताल आदि भी यहाँ बताए जाते हैं। चन्देल नरेश वास्तुकला के प्रेमी थे। इन्हीं के ज़माने में जगत् प्रसिद्ध खजुराहो के मन्दिरों का निर्माण हुआ था। किन्तु जान पड़ता है कि युद्धों की अग्नि में महोबा के प्रायः सभी महत्त्वपूर्ण अवशेष नष्ट हो गए। फिर भी राजपूतों के समय के अवशेषों में यहाँ से प्राप्त हिन्दू धर्म तथा जैन धर्म से सम्बन्धित कुछ मूर्तियाँ अवश्य उल्लेखनीय हैं। 'सिंहनाद अविलोकितेश्वर' की एक अभिलिखित मूर्ति भी प्राप्त हुई थी, जो अब लखनऊ के संग्रहालय में है। यह मध्यकालीन बुंदेलखंड की मूर्तिकला का सुन्दर उदाहरण है।

बाद के चंदेल शासकों में जिनका नाम विशेष रूप से स्थानीय स्मारकों से जुड़ा हुआ है, वे विजई-पाल 1035-1045ई।  हैं जिन्होंने विजई-सागर झील का निर्माण किया, कीर्ति-वर्मन 1060-1100 ई। ने केरेर सागर तालाब और मदन-वर्मन 1128-1164ई। जिन्होंने मदन सागर का निर्माण किया। अंतिम प्रमुख चंदेला शासक परमर्दि-देव या परमल थे जिनका नाम उनकी दो जनरलों आल्हा ’और उदला’ के वीर कर्मों के कारण अभी भी लोकप्रिय है, जिनके पास कई लड़ाइयाँ हैं।

दरबारी कवि जगनिक राव ने अपने लोकप्रिय गीत आल्हा-खंड ’के माध्यम से अपने नाम अमर कर दिए हैं। इसे देश में हिंदी बोलने वाले जनसमूह के माध्यम से सुनाया जाता है। 1860 ई। में ईस्ट इंडिया कंपनी के एक अंग्रेज अधिकारी, श्री विलियम वाटरफील्ड उस गाथागीत से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इसका अंग्रेजी में अनुवाद ले ऑफ आल्हा ’के शीर्षक के तहत किया, जिसे इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस ने प्रकाशित किया था। एक अन्य प्रमुख ग्रंथ जिसमें महोबा की भव्यता का वर्णन है, वह जैन ग्रन्थ ‘प्रभा-कोष’ है, जो इसकी भव्यता को संदर्भित करता है जिसे केवल महसूस किया जा सकता है और इसका वर्णन नहीं किया जा सकता है।

mahoba-ki-ladai


राजवंश के पंद्रह शासक परमर्दि-देवता या परमाला का शासनकाल महोबा के पतन का गवाह बना। 1182 में परमला और दिल्ली के राजा पृथ्वीराज के बीच युद्ध हुए, पृथ्वीराज ने परमाला द्वारा पूर्ण होने या समर्पण करने के लिए कुछ शर्तें रखींऔरंगज़ेब के समय में बुंदेलखंड के प्रतापी राजा छत्रसाल का महोबा पर अधिकार हो गया और यह नगर शीघ्र ही उनके राज्य का एक बड़ा नगर बन गया। 


बाद में राजा पृथ्वी राज चौहान ने बनफर बंधुओं द्वारा बहादुरी से लड़ी गई लड़ाई के बावजूद महोबा पर कब्जा कर लिया: महोबा के ऊदल और अन्य योद्धा। उदल, ब्रह्मा, मलखान, सुलखान, ढेबा और ताल सय्यद आदि ने अपने प्राण त्याग दिए।

युद्ध दो दशक बाद, कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1203 ईस्वी में महोबा और कालिंजर को निर्वासित कर दिया। ऐबक ने हजारों कारीगरों के साथ अपार लूट को बंदी बना लिया। उन्होंने ज्यादातर ग़ज़नी को गुलाम बना लिया और सुंदर निर्माण किया। वहाँ की इमारतें।लाटर, त्रिलोक्य वर्मन, परमाला के एक और पुत्र, महोबा और कालिंजर को बरामद किया, लेकिन चंदेलों ने अपना राज खो दिया। 

तैमूर के आक्रमण के समय कालपी और महोबा के सूबेदार स्वतंत्र हो गए। 1434 ई. में जौनपुर के सूबेदार इब्राहीमशाह ने महोबा और कालपी पर अधिकार कर लिया। किन्तु अगले वर्ष मालवा के सुल्तान होशंगशाह ने इसे छीन लिया। किन्तु पुनः यह नगर जौनपुर के सुल्तान के क़ब्ज़े में आ गया। 16वीं शती में मुग़लों का साम्राज्य दिल्ली में स्थापित हुआ और साथ ही महोबा भी मुग़ल साम्राज्य का एक अंग बन गया।

हमीरपुर जिला के अन्तर्गत महोबा तहसील थी जिसे मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव जी ने 11 फरवरी 1995 को जनपद हमीरपुर से अलग कर के महोबा को पूर्ण जिला बनाया।

इसका कुल क्षेत्रफल 2884 वर्ग किलोमीटर है, तथा इसके अन्तर्गत तीन तहसीलें (महोबा, चरखारी, कुलपहाड़) और चार ब्लॉक, कबरई, चरखारी, जैतपुर, पनवाड़ी) आते है।
सन् 1995 में यहा जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय का शुभारम्भ हुआ तथा इस कार्यालय को नये भवन में सन् 2002 में स्थापित किया गया। 


इस कार्यालय के अन्तर्गत सन् 2009 में उ0 प्र0 राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान का शुभारम्भ किया गया, वर्तमान में 28 राजकीय हाईस्कूल/इण्टर कालेज, 10 अशासकीय विद्यालय एवं 39 वित्तविहीन विद्यालय संचालित है। उ0प्र0 राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अन्तर्गत अभी तक 7 राजकीय हाईस्कूल एवं 4 माॅडल स्कूलों की स्थापना हो चुकी है एवं सन् 2013-14 में 12 राजकीय हाईस्कूलों की स्वीकृत मिल चुकी है। यहाँ के तालाब और घूमने लायक स्थान मंदिर इत्यादि देखने योग्य हैं ।

दोस्तों अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगे तो ज्यादा से ज्यादा शेयर करे और फेसबुक पेज को लाइक करना न भूले, जय भारत जय बुंदेलखंड ।




दोस्तों अगर आपको ये वेबसाइट अच्छी लगे तो ज्यादा से ज्यादा शेयर करे और फेसबुक और इंस्टाग्राम पेज को लाइक और फॉलो करना न भूले, जय भारत जय बुंदेलखंड ।


हमें उम्मीद है की हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको जरूर पसंद आई होगी, यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। इसके अलावा भी आपके मन में कोई सुझाव हो तो नीचे कमेंट करके बता सकते हैं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
एक टिप्पणी भेजें (0)
To Top