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मध्य प्रदेश के छिपे हुए खजानों में शामिल भेड़ाघाट की खूबसूरती सबसे अलग है।
वैसे तो मध्यप्रदेश में चारों तरफ एडवेंचर और एक्सप्लोर करने के लिए काफी कुछ है लेकिन प्रकृति के करीब किसी शांत और सुंदर जगह की तलाश है तो भेड़ाघाट आएं जो बहुत ही अलग और खास है।
जबलपुर, मध्यप्रदेश की जीवन रेखा नर्मदा को बचाने के लिए प्रदेश सरकार ने नर्मदा सेवा यात्रा शुरू की है। नर्मदा के तट पर ऐसे प्रपात हैं, जो किसी को भी सम्मोहित कर सकते हैं। हम यहां जबलपुर में स्थित भेड़ाघाट जल प्रपात की बात कर रहे हैं।
यहां संगमरमरी चट्टानों के बीच से गुजरती नर्मदा नदी ऐसा रंग बिखेरती है कि देखने वाले मुग्ध हो जाते हैं। इस लोकेशन को कई फिल्मों में दिखाया भी जा चुका है।
यह जगह तब और खूबसूरत लगती है जब इन संगमरमर की सफेद चट्टानों पर सूर्य की किरणें और पानी पर छाया पड़ती है। तब काले और गहरे रंग के ज्वालामुखीय समुद्रों के साथ इन सफेद चट्टानों को देखना खूबसूरत अनुभव होता है इतना ही नहीं चांदनी रात में यह और भी ज्यादा जादुई लगता हैं।
नर्मदा नदी इन संगमरमर की चट्टानों के बीच से धीरे-धीरे बहती है और थोड़ी दूर जाकर धुंआधार के रूप में प्रसिद्ध एक झरने में मिल जाती है। प्रकृति को पसंद करने वालों के लिए यहां बोट राइडिंग की सुविधा भी है।
संगमरमर के पहाड़ों के बीच होने वाली नाव की यात्रा पर्यटकों को काफी आकर्षित करती है। अगर आप मनमोहक प्राकृतिक सुंदरता और झरनों का आनंद लेना चाहते हैं तो छुट्टियों में भेड़ाघाट जरूर जाएं। यहां ऐसी कई दुकानें हैं जहां आपको संगमरमर के हस्तशिल्प और धार्मिक चिन्ह खरीदने को मिलेंगे।
भेड़ाघाट में हर साल कार्तिक महीने में विशाल मेला आयोजित होता है। भारतीय मेलों की छटा और कला आपको इस मेले में देखने को मिलेगी। तो चलिए इस आर्टिकल में आज हम आपको सैर कराएंगे भेड़ाघाट की।
जबलपुर से 15 किलोमीटर दूर स्थित भेड़ाघाट जलप्रपात लोगों को बहुत पसंद आता है। संगमरमरी चट्टानों से गिरती नर्मदा का सौंदर्य यहां देखने लायक होता है। देश-विदेश से लाखों सैलानी प्रतिवर्ष यहां पहुंचते हैं। भेड़ाघाट के आस-पास नर्मदा का सौंदर्य सैलानियों के लिए सदैव आकर्षण का केेन्द्र रहा है।
भेड़ाघाट का इतिहास – History Of Bhedaghat
भेड़ाघाट का इतिहास 180-250 करोड़ साल पुराना माना जाता है। भेड़ाघाट के नाम को लेकर कई कहानियां भी प्रचलित हैं। इतिहास की मानें तो प्राचीनकाल में भृगु ऋषी का आश्रम इसी जगह पर था और यह वह स्थल है जहां नर्मदा का पवित्र गंगा के साथ संगम होता है।
बुंदेली भाषा में भेड़ा का अर्थ भिड़ना या मिलने से होता है। क्योंकि ये दोनों नदियां यहां आकर मिलती हैं, इस मिलन के कारण ही इस जगह का नाम भेड़ाघाट रखा गया था।
भेड़ाघाट से जुडी कुछ खास बाते - Some special things related to Bhedaghat
1. भेड़ाघाट में पहली बार 1960 में फिल्म की शूटिंग हुई थी। यह लोकेशन जिस देश में गंगा बहती है फ़िल्म में पहली बार दिखाई गई थी। यहां वैजयंती माला ने संगमरमरी वादियों में बंसती पवन गीत में अभिनय किया था।
2. बॉलीवुड फिल्म अशोका के लोकप्रिय गीत “रात का नशा अभी” गीत नर्मदा नदी की संगमरमर की चट्टानों के बीच फिल्माया गया है।
3. 2016 में हिंदी फिल्म मोहेंजो दारो के मगरमच्छ से लड़ने का दृश्य भेड़ाघाट में फिल्माए गए है।
इन फिल्मों की हुई है शूटिंग भेड़ाघाट में - These films have been shot in Bhedaghat
- जिस देश में गंगा बहती है
- आवारा
- प्राण जाए पर वचन न जाए
- गंगा की सौगंध
- अशोका
- मैरिड टू अमेरिका
- मछली जल की रानी है
- द रिलीजियस फ्लावर्स
- मोहनजोदड़ो
भेड़ाघाट में नर्मदा नदी पर पर्यटक नौका विहार और प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकते हैं।
जब आप मार्बल रॉक्स के बीच नाव की सवारी कर रहे होंगे, तब गाइड कॉमिक शैली में आपको प्यार की कहानी सुनाकर आपका अच्छा मनोरंजन करेगा।
यहां पर आप बंदर कूदनी पर भी जा सकते हैं। जब कोई एक नाव में संगमरमर की चट्टानों के बीच यात्रा करता है तो दोनों तरफ के पहाड़ इतने करीब आ जाते हैं कि बंदर उनके चारों ओर कूदने लगते हैं, इसलिए इस जगह को बंदर कूदनी कहा जाता है।
चट्टान का निर्माण जैसे हिरण मीरन कुंच, हाथी का पौन, हाथी पैर, एक गाय के सींघ और घोड़े के पैरों के निशान यहां देखने लायक हैं।
भेड़ाघाट में घूमने वाली जगहें - Places to visit in Bhedaghat
1. धुआंधार वाटर फॉल - Dhuandhar water Falls
नर्मदा नदी के दोनों किनारों के बीच ऊंची चट्टानों से घिरा यह मशहूर मनमोहक स्थल है। यहां नर्मदा नदी मार्बल की चट्टानों के माध्यम से तेजी से अपना मार्ग प्रशस्त करती है और पहाड़ से 100 फुट नीचे की ओर झरने के रूप में गिरती है। पानी के इतनी ऊंचाई से गिरने के कारण चारों तरफ धुंआ उठता दिखाई देता है और फुहार घनी होकर धुएं का रूप ले लेती हैं। इसी वजह से इस जगह को धुआंधार फॉल्स कहा जाता है। इस दौरान पानी का बहाव इतना तेज होता है कि दूर से भी गर्जन सुनाई देती है। यह घाट क्षेत्र से सिर्फ 1.5 किमी दूर है। धुआंधार जलप्रपात को आप केबलकार के जरिए भी देख सकते हैं।
2. चौसठ योगिनी मंदिर जबलपुर - Chausath Yogini Temple Jabalpur
धुंआधार से थोड़ी ही दूरी पर चौंसठ योगिनी मंदिर है। यह मंदिर हिंदू पौराणिक कथाओं में ब्रह्मांड की जननी मानी जाने वाली देवी दुर्गा को समर्पित है। यहां पर 10वीं शताब्दी के कलचुरी वंश की पत्थरों से तराशी गई मूर्तियां हैं। अब हालांकि ज्यादातर मूर्तियां टूट गई हैं। माना जाता है कि यह प्राचीन मंदिर के भूमिगत मार्ग से गोंड रानी दुर्गावती के महल से जाकर मिलता है। इस मंदिर की खासियत यहां बीच में स्थापित भगवान शिव की प्रतिमा है। बताया जाता है कि इस मंदिर में आज भी 64 योगिनियां पहरा देती हैं। इस मंदिर में नवरात्रि के दौरान भक्तों की अच्छी खासी भीड़ लगती है। इतिहासकारों के अनुसार एक जमाने में चौंसठ योगिनी मंदिर का नाम गोलकी मठ था।
3. भेड़ाघाट मार्बल रॉक्स और वोटिंग एरिया - Bhedaghat Boating Point
भेड़ाघाट में मार्बल रॉक्स देखने लायक हैं। इन संगमरमर की चट्टानों के बीच ही अशोका फिल्म के गाने की शूटिंग करीना कपूर ने पानी के बीचों-बीच की थी। संगमरमर की चट्टानें पर्यटकों के लिए खूबसूरत दर्शनीय स्थल है।
4. सी वर्ल्ड वाटर पार्क जबलपुर - Sea World Water Park Jabalpur
सी वर्ल्ड वाटर पार्क दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताने के लिए अच्छी जगह है। पूरा एक दिन बिताने के लिए यह बहुत अच्छी जगह है। यहां बड़ों के अलावा बच्चों के लिए अलग से एक पूल है। यह जबलपुर का एक मात्र वॉटरपार्क है। यहां एडवेंचर वॉटर राइड और रोलर कोस्टर की सवारी आपके ट्रिप में चार चांद लगा देगी। यह वॉटर पार्क सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक खुलता है। बड़ों के लिए यहां एंट्री फी 360 रूपए प्रति व्यक्ति है जबकि बच्चों के लिए 270 रूपए एंट्री फी रखी गई है। बता दें कि जबलपुर स्टेशन से वॉटर पार्क की दूरी 11.3 किमी है, जबकि जबलपुर एयरपोर्ट से यह 21.8 किमी दूर है।
5. बैलेंसिंग रॉक जबलपुर - Balancing Rock Jabalpur
यह जगह जबलपुर सिटी से मात्र 2 किमी की दूरी पर स्थित है। यह जगह शारदा देवी मंदिर के रास्ते में पड़ती है। यहां एक दीर्घगोलाकर शिला आश्चर्यजनक ढंग से एक विशाल चट्टान पर अपने गुरूत्व केंद्र पर टिका हुआ है। यह भूतात्तिव कारणों से अस्तित्व में आया, इसमें मानव का कोई योगदान नहीं है। इस शिला की खासियत यह है कि इसकी विशालता, भार, कठोरता और सटीक गुरूत्व केंद्र होने के कारण आज भी ये अपनी मूल अवस्था में बना हुआ है। प्रकृति प्रेमियों के लिए यह अच्छी जगह है। यहां आप 15-20 मिनट का समय बिता सकते हैं।
6. भेड़ाघाट में नर्मदा महोत्सव - Narmada Festival in Bhedaghat
प्रकृति की इस खूबसूरत रचना की प्रशंसा करने के लिए, हर साल भेड़ाघाट में नर्मदा महोत्सव के रूप में एक शुभ कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। यह कार्यक्रम शरद पूर्णिमा ’यानी अक्टूबर को आयोजित किया जाता है। इस अवसर पर प्रसिद्ध गायकों और कलाकारों की मौजूदगी दर्शकों की भारी भीड़ खींचती है और लोग इस पूर्णिमा की रात दूधिया सफेद पानी में नौका विहार का आनंद लेते हैं।
7. भेड़ाघाट का मौसम - Bhedaghat Weather
गर्मियों में भेड़ाघाट जाना थोड़ा सही समय है। यहां गर्मी बहुत ज्यादा नहीं रहती। तपमान अधिकतम 34 डिग्री सेल्सियस तक जाता है, लेकिन मई -जून का महीना यहां ज्यादा गर्म होता है। इसलिए आप चाहें तो मई से पहले की गर्मियों में आप यहां छुट्टियां बिताने आ सकते हैं।
8. भेड़ाघाट भारत आकर्षक स्थल लेजर शो - Bhedaghat India attractive site laser show
भेड़ाघाट को विश्व के नक्शे में लाने की पहल के चलते यहां भेड़ाघाट के पंचवटी में लेजर शो शुरू किया गया है। इस लेजर शो के जरिए नर्मदा से दुनिया का परिचय कराया जाता है। इस शो में नर्मदा की गौरव गाथा अलग अंदाज में जानने को मिलती है। हजारों साल पुरानी परंपरा से लेकर आधुनिकता का दौर भी देखने को मिलता है।
मंगलवार से शु्रकवार तक 7.30 से 8 बजे और 8:30 से 9 बजे तक दो ही शो आयोजित होते है। जबकि शनिवार और रविवार को तीन शो का आयोजन किया जाता है। 7:30 से 8 बजे, 8:15 से 8:45 और 9 बजे से 9:30 तक शो दिखाया जाता है। हर शो तीन भागों में विभाजित है। आधे घंटे के शो में हर भाग 10 मिनट का रखा गया है। पहले भाग में भेड़ाघाट की खूबसूरती का जिक्र होता है उसके बाद 10 मिनट तक देशभक्ति गीतों के जरिए फाउंटेन की रंगबिरंगी फुहारों के बीच दर्शकों को लुभाने का प्रयास किया जाता है।
9. बोट राइट (भेड़ाघाट नौका विहार) के लिए किस समय जा सकते हैं।
भेड़ाघाट में बोट राइडिंग का समय सुबह 10 से शाम 5 बजे तक होता है। संगमरमर पर सूरज की किरणें देखनी हैं तो शाम 4 बजे के स्लॉट पर जाएं। बोट राइड के दौरान कैप जरूर पहनें। अंतिम रोपवे यहां 6 बजे बंद हो जाता है। यहां आप नाव की यात्रा एक घंटे तक कर सकते हैं। हालांकि पहले यहां चांदनी रात में नाव की सवारी कराई जाती थी, लेकिन असामाजिक गतिविधियों के कारण अधिकारियों ने रात में नाव की सवारी पर रोक लगा दी है। एक नाव में तीन लोगों के बैठने की व्यवस्था होती है, जिसके लिए 800 रूपए चार्ज लिया जाता है, आप थोड़ा मोलभाव करके इसे 600 रूपए करा सकते हैं। नाव में बैठने से पहले टिकट काउंटर से लाइफ जैकेट जरूर लें।
10. भेड़ाघाट की टाइमिंग - Bhedaghat Timing
भेड़ाघाट में आप सुबह 8 बजे से शाम के 6 बजे तक बोटिंग कर सकते हैं। जबकि केबलकार का समय सुबह 11 बजे से शाम के 6 बजे तक रहता है। बता दें कि मानसून के मौसम में यहां बोटिंग बंद होती है।
11. भेड़ाघाट जाने का सबसे अच्छा समय - Best time to visit Bhedaghat
भेड़ाघाट जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से अप्रैल का है। इस समय यहां का मौसम सुहावना होता है और सबसे ज्यादा पर्यटक भी इसी समय झरनों का मजा लेने पहुंचते हैं। बोटिंग के माध्यम से मार्बल रॉक के सुखद नजारों का अनुभव करना है तो अक्टूबर से अप्रैल के बीच ही भेड़ाघाट घूमने जाइए।
भेड़ाघाट संगमरमर की कलाकृतियों के लिए काफी मशहूर है। यहां सोपस्टोन नाम का बाजार प्रसिद्ध है। यहां आने वाले पर्यटक एक बार इस बाजार में जरूर जाते हैं। इस बाजार में हस्तशिल्प जैसे लिंगम, एशट्रेज और देवी-देवताओं की मूर्तियां आप खरीद सकते हैं।
कैसे पहुंचे भेड़ाघाट - How to reach Bhedaghat
भेड़ाघाट जबलपुर के पास स्थित है, इसलिए आपको पहले जबलपुर जाना होगा। अगर आप फ्लाइट से भेड़ाघाट जाना चाहते हैं तो जबलपुर हवाई अड्डा भेड़ाघाट के नजदीक हैं जिसे डुमना एयरपोर्ट जबलपुर के नाम से जाना जाता है। हवाई अड्डे से भेड़ाघाट की दूरी मात्र 34.1 किमी है। इसके अलावा जबलपुर रेलवे स्टेशन भेड़ाघाट के करीब है, यहां से भेड़ाघाट 20 किमी दूर है। वहीं अगर आप बाय रोड बस या टैक्सी से जाते हैं तो रांझी बस स्टैंड भेड़ाघाट से पास पड़ेगा। यहां से भेड़ाघाट की दूरी 27.9 किमी है। यहां पहुंचने के बाद आप सार्वजनिक वाहन से भेड़ाघाट पहुंच सकते हैं।
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